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भुकम्प क्या है और यह कैसे आता है ?

February 18, 2016 By Nikhil Arora

हम लोग अक्सर घर में बैठे होते है और अचानक से हमारा घर हिलने लगता है और कभी कभी तो इतना तेज हिलने लगता है कि हमे डर के मारे घर से बाहर आना पड़ता है। पहले ये एक असामान्य बात थी तथा धरती बहुत ही कम बार इतनी तेजी से हिला करती थी । लेकिन आज के समय में ये लगभग सामान्य सी बात लगती है क्योकि आप सब लोग देख रहे कि अभी कुछ ही समय हुआ है पहले नेपाल की त्रासदी उसके बाद अफगानिस्तान । आप सब को इन भुकम्पों हुई मौतो पर काफी दु:ख भी हुआ होगा एवं आप सब लोगो की सवेंदनाये भी उन लोगो साथ होगी ।

लेकिन क्या आप लोग जानते है कि भुकम्प वास्तव मे क्या है एंव ये किस कारण से आता है अगर नही तो कोई बात नही हम आपको कुछ आसान भाषा में बताते है कि भुकम्प क्या है और ये किस कारण से आता है ।

पृथ्वी की संरचना : 

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हमारी पृ‍थ्वी मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत है जो विभिन्न वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है। लेकिन जब वो प्लेटे एक दूसरे से टकराती है तो कम्पन पैदा होते है, लेकिन जब ये कम्पन ज्‍यादा बढ जाते है तो भूकंप आ जाता है।

पहले भूकम्प की तीव्रता मापने के लिए पूराने तरीके अपनाये जाते थे परन्तु सन 1935 में कैलिफॉर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में कार्यरत वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने बेनो गुटेनबर्ग के सहयोग से रियटर स्केल के पैमाने को अविष्कार किया। इस खोज के बाद भुकम्प को रियटर स्केल पर ही मापा जाने लगा ।

अाधार कार्ड सेन्टर कैसे ढुढे । 

भुकंप की तीव्रता :

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भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र ( एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैंकड़ो किलोमीटर तक फैली यह एक प्रकार की लहर होती है जैसा कि आप पानी से भरी बाल्‍टी या ठहरे हुये पानी में एक पत्थर फेंकते है तो जहॉं पर पत्थर गिरता है वो उसका केन्द्र हाेता है फिर जो तरंगे उससे निकलती है वह कंपन का कार्य करती है ठीक उसी तरह भुकंप भी ऐसे ही आता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है। अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है। मतलब की भुकंप का केन्द्र पृथ्वी की सतह से ज्यादा नीचे ना हो तो भुकंप ज्यादा विनाशकारी होता है। लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता। ऐसे ही अगर भंकप समुद्र में आते है तो सुनामी जैसी विपदा भी आती है तो जो बहुत विनाशकारी होती है। जैसा कि हमने जापान  और श्रींलका में सुनामी ने समुद्र के जरीये काफी तबाही मचाई थी ।

भुकंप का सबसे बड़ा खतरा प्रंशात महासागर में भुमध्‍य सागरीय पेटी पर है अर्थात इस पेटी के आस पास आने वाले देशो को सबसे ज्यादा खतरा है इस पेटी के पास जापान सबसे प्रभुख क्षेत्र है जिस पर भुकंपो को खतरा सबसे ज्यादा मड़राता रहता है।

आधार कार्ड कैसे Download करे। 

भारत में भुकंप का खतरा :

भुकंप के लिहाज से भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग है। भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर चार हिस्सों मे बाटा गया है इनमें जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 आते है। जोन 2 सबसे कम खतरे वाला जोन है तथा जोन-5 को सर्वाधिक खतनाक जोन माना जाता है।

उत्तर-पूर्व के सभी राज्य जैसे नागालैण्‍ड, मणिपुर,सिकिक्‍म, अरूणाचल प्रदेश आाद‍ि तथा जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड,हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं। उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से तथा दिल्ली जोन-4 में आते हैं। मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण भारत के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं।

भुकंप से बचने के उपाय :

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  1. यदि आप बाहर हैं तो किसी खाली स्‍थान पर चले जायें, यानी बिल्डिंग, मकान, पेड़, बिजली के खंभों से दूर।
  2.  यदि आप बिस्‍तर पर हैं तो वहीं रहें और उसे कसकर पकड़ लें। अपने सिर पर तकिया रख लें।
  3. यदि आप उस समय कार चला रहे हैं तो कार धीमी करें और एक खाली स्‍थान पर ले जाकर पार्क कर दें। तब तक कार में बैठे रहें, जबतक झटके खत्‍म नहीं हो जायें।
  4. जैसे ही आपको भूकंप के झटके महसूस हों, वैसे ही आप किसी मजबूत टेबल के नीचे बैठ जायें और कस कर पकड़ लें।
  5.  जब तक झटके जारी रहें, तब तक एक ही जगह बैठे रहें। या जब तक आप सुनिश्चित न कर लें कि आप सुरक्षित ढंग से बाहर निकल सकते हैं।

हम आशा करते है कि आपको भुकंप के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी प्राप्‍त हुई होगी अगर हमसे किसी भी प्रकार की त्रुटि हो गयी हो या हमने कोई जरूरी बात ना बताई हो तो आप हमें नीचे Comment Box में अपने सुझाव भेज सकते है हम उन सुझावों पर जरूर अमल करेगे ।

अगर आप दी गई जानकारी से सहमत है तो आप अपने दोस्तो, रिश्तेदारों से साझा अवश्य करें आपकी थोड़ी सी जागरूकता लोगो के लिये महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा सकती है।

आप हमें Facebook पर भी Follow कर सकते है ।

धन्यवाद,

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Filed Under: बेसिक Tagged With: ख़ास, प्राइवेसी

Comments

  1. माधव कुमार says

    July 21, 2016 at 11:02 am

    प्रिय सर जी
    भुकंंम्‍प रोधी धर बनाने की नियम फोरमुला बिस्‍तार पूर्वक बताये

    Reply
  2. माधव कुमार says

    July 21, 2016 at 11:04 am

    प्रिय सर जी
    भुकंंम्‍प रोधी धर बनाने की नियम फोरमुला बिस्‍तार पूर्वक बताये
    मै धनबाद झारखण्‍ड में रहता हॅूंं

    Reply
    • Sunny Singh says

      July 25, 2016 at 2:43 pm

      Earthquakes se kaise bache ?

      Reply
  3. luv says

    December 10, 2016 at 6:52 pm

    tectonic plates why moving

    Reply
  4. Vikash Kumar says

    December 18, 2016 at 9:41 pm

    Hume aapka ye sujhaw padhkar bahut achha laga sir thank you sir. Vaise sir aap thoda our bistar se samjha kar bataiyega ki kaise kaha kaha bhookmap aaya hain.
    Vikash saxena bihar siwan.

    Reply
    • Nikhil Arora says

      December 29, 2016 at 12:12 pm

      Ye toh sab humne is article me bata diya hai, aur ye toh lagbhag world ke har hisse me aata hai, kahi par thoda zaada aur kahi par thoda kam.

      Reply
  5. Lavkesh says

    January 20, 2017 at 5:32 pm

    Bhukamp ke roktham ke tareeke kya ho sakte hai please give me answer

    Reply

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